Supreme court में पॉश एक्ट पर नई याचिका
9 दिसंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका पर सुनवाई हुई। इसमें मांग की गई कि पॉश एक्ट 2013 (महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम का कानून) राजनीतिक दलों पर भी लागू किया जाना चाहिए ।
इस ब्लॉग में हम समझेंगे:
– पॉश एक्ट क्या है ? इसे क्यों बनाया गया था?
– इस याचिका का क्या इतिहास था और कोर्ट ने इस पर क्या कहा?
– क्या राजनीतिक दलों पर इसे लागू करने में क्या मुश्किले होगी ?
– चुनाव आयोग की इस एक्ट पर भूमिका क्या हो सकती है?
**पॉश एक्ट: एक सरल परिचय**
पॉश एक्ट 2013 महिलाओं को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए बनाया गया कानून है। इसकी शुरुआत 1992 में राजस्थान की भवरी देवी के साथ हुए अपराध से शुरू हुई। इसके बाद 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कड़ा दिशानिर्देश दिए।
2007 में इसे विधेयक बनाया गया और यह 9 दिसंबर 2013 को कानून बन गया।
- **मुख्य बातें:**
**यौन उत्पीड़न क्या है:** यह अनचाहे शारीरिक स्पर्श, अश्लील बातें, या यौन संबंध की मांग जैसे व्यवहार को कवर करता है।
**कर्मचारी की परिभाषा:** इसमें अस्थाई, संविदा, दैनिक वेतनभोगी और स्वैच्छिक कर्मचारी सभी शामिल हैं।
**कार्यस्थल की परिभाषा:** इसमें पारंपरिक ऑफिस के साथ-साथ दूरसंचार और फील्ड स्थान भी आते हैं।
**शिकायत की प्रक्रिया:**
**आंतरिक शिकायत समिति (ICC):** यह 10 या उससे अधिक कर्मचारियों वाले ऑफिस में बनाना जरूरी है।
**स्थानीय समिति (LC):** यह 10 से कम कर्मचारियों वाले कार्यस्थलों के लिए होती है।
राजनीतिक दलों के खिलाफ सख्त कानून लागू करने की मांग
सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिका में तर्क दिया गया है कि महिलाओं को राजनीतिक दलों के भीतर भी यौन उत्पीड़न से बचाया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को पहले भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) से संपर्क करना चाहिए। न्यायालय ने आगे सुझाव दिया कि चुनाव आयोग को राजनीतिक दलों को आंतरिक शिकायत समितियां (आईसीसी) गठित करने का निर्देश देना चाहिए।
राजनीतिक दलों पर पॉश एक्ट लागू करने की बाधाएं
कार्यस्थल की अस्पष्टता: राजनीतिक दलों में कार्यस्थल की परिभाषा स्पष्ट नहीं है।अधिकांश कार्यकर्ता फील्ड में काम करते हैं, और स्थायी कार्यस्थल नहीं होता।
नियोक्ता की पहचान:पॉश एक्ट के तहत आंतरिक शिकायत समिति (ICC) का गठन नियोक्ता द्वारा किया जाता है।
राजनीतिक दलों में \”नियोक्ता\” कौन होगा, यह स्पष्ट नहीं है।
चुनाव आयोग की भूमिका
चुनाव आयोग (ECI) के पास संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव प्रक्रिया को नियंत्रित करने की शक्तियां हैं। हालांकि, दूसरे कानूनों को लागू करवाने में इसकी भूमिका अस्पष्ट है।
सुप्रीम कोर्ट के सुझाव के अनुसार, चुनाव आयोग राजनीतिक दलों को आईसीसी (ICC) बनाने का परामर्श दे सकता है, लेकिन इसे लागू करवाने की शक्ति शायद उसके पास न हो।
निष्कर्ष
राजनीतिक दलों में पॉश एक्ट लागू करना एक सकारात्मक कदम हो सकता है, लेकिन इसके लिए कार्यस्थल और नियोक्ता की स्पष्ट परिभाषा आवश्यक है। इसके साथ ही, चुनाव आयोग को इस प्रक्रिया में भूमिका निभाने के लिए विस्तृत दिशानिर्देश चाहिए।