संकट में है मोदी सरकार? क्या होगा बजट सत्र से पहले?
भारत की राजनीति में अब काफी गतिविधि हो रही है। मोदी सरकार की स्थिरता पर बातें हो रही हैं। कई लोग ये मानते हैं कि आने वाले बजट सत्र में सरकार गिर सकती है।
इसके पीछे क्या कारण हैं। ये अटकलें क्यों बढ़ रही हैं। और इससे भारतीय राजनीति पर क्या असर पड़ेगा।
मोदी सरकार की एनडीए में दरारें
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) अब पहले जैसा मजबूत नहीं है। हाल के दिनों में इसमें दरारें दिख रही हैं। वर्तमान में, एनडीए के पास लोकसभा में 293 सीटें हैं। बहुमत के लिए 272 सीटों की जरूरत है। लेकिन आंतरिक मतभेद इसकी संख्या को खतरे में डाल सकते हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) के एनडीए से बाहर निकलने की बातें चल रही हैं। जेडीयू के नेता बीजेपी की नीतियों से नाखुश हैं। उन्हें लगता है कि बीजेपी के साथ रहने से उनकी सामाजिक पहचान कमजोर हो रही है।
बिहार के दलित नेता चिराग पासवान भी बीजेपी से परेशान हैं। हाल ही में एलजेपी के नेताओं पर ईडी की छापेमारी ने ये अटकलें बढ़ा दी हैं कि चिराग एनडीए में रहना नहीं चाहते।
आंध्र प्रदेश के नेता चंद्रबाबू नायडू भी केंद्र सरकार से खफा हैं। उन्हें राज्य को विशेष दर्जा नहीं मिलने और अल्पसंख्यकों के लिए योजनाओं की कमी पर काफी नाराजगी है।
लोकसभा में मोदी सरकार में होगा गुना भाग ?
लोकसभा में कुल 542 सदस्य हैं, लेकिन अभी एक सीट खाली है। बीजेपी के पास 240 सीटें हैं। उन्हें कुछ पार्टियों का भी समर्थन मिल रहा है।
टीडीपी से 16 सीटें हैं।
जेडीयू से 12।
शिवसेना (शिंदे गुट) से 7।
एलजेपी (आर) से 5।
अगर जेडीयू, टीडीपी, और एलजेपी (आर) जैसे दल साथ छोड़ते हैं, तो एनडीए की स्थिति मजबूत नहीं रहेगी।
विपक्ष और उनकी चुनौतियां
इंडिया गठबंधन (I.N.D.I.A) ने सरकार को घेरने का प्लान बना लिया है। विपक्ष ये मुद्दे उठाने पर जोर देगा:
– ईडी और सीबीआई जैसे सरकारी एजेंसियों का गलत इस्तेमाल।
– बेरोजगारी और निजीकरण नीतियों पर लोगों की नाराजगी।
– दलित और अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ नीतियों की चिंता।
बीजेपी में भी कुछ विवाद चल रहे हैं। बड़े नेताओं के विवादित बयान उनके सहयोगियों और वोटर्स को नाराज कर रहे हैं।
बीजेपी में मोदी सरकार की चुनौती ?
बीजेपी के लिए ये सिर्फ संख्या की बात नहीं है। यह उनकी छवि का सवाल भी है। सत्ता के केंद्रीकरण और सहयोगी दलों की अनदेखी से उनकी गठबंधन राजनीति कमजोर हो सकती है।
आने वाले हालात
अगर मोदी सरकार बजट सत्र के दौरान बहुमत खो देती है, तो दो बातें हो सकती हैं:
1. नई सरकार बन सकती है: इंडिया गठबंधन एनडीए के बचे हुए दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश कर सकता है।
2. मध्यावधि चुनाव: अगर सरकार पूरी तरह से गिर जाती है, तो देश इस हालात में मध्यावधि चुनाव की ओर बढ़ सकता है।
निष्कर्ष
आने वाला बजट सत्र मोदी सरकार के लिए एक बड़ा मौका है। सहयोगी दलों में कुछ नाराजगी है और विपक्ष भी लगातार सवाल उठा रहा है। इस वजह से एनडीए का भविष्य सवालों के घेरे में है। देखना होगा कि ये मुश्किलें सरकार को कमजोर करेंगी या फिर गठबंधन को और मजबूत बनाएंगी। अगले कुछ महीनों में हमें इसका जवाब मिलेगा।