रूस का कैंसर वैक्सीन: मानवता के लिए नया मोड़ हो सकता है?

रूस का कैंसर वैक्सीन: मानवता के लिए नया मोड़ हो सकता है?

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रूस का कैंसर वैक्सीन: मानवता के लिए नया मोड़ हो सकता है?

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आज सब लोग रूस की नई खोज के बारे में बात कर रहे हैं। रूस ने कहा है कि उसने कैंसर के खिलाफ एक वैक्सीन बनाई है। यह वैक्सीन कैंसर को ठीक नहीं करेगी, लेकिन अगर इसे एक स्वस्थ व्यक्ति को दिया जाए तो कैंसर होने के चांस बहुत कम हो जाएंगे।

 

 

रूस का कैंसर वैक्सीन:वैक्सीन का क्या लक्ष्य है?

रशिया का सपना है कि यह वैक्सीन उनके देश को कैंसर मुक्त बना दे। सरकार इसे अपने नागरिकों को मुफ्त में देने की योजना बना रही है। इसके साथ, रशिया के करीबी देशों को भी यह वैक्सीन सस्ती या मुफ्त में मिलेगी। यह कदम लाखों जिंदगियां बचा सकता है और कैंसर के डर को भी कम कर सकता है।

यह वैक्सीन हर किसी के लिए अलग तरीके से बनेगी। इसे देने से पहले, व्यक्ति की मेडिकल जानकारी, ब्लड ग्रुप, और स्वास्थ्य की जांच की जाएगी। इस वैक्सीन का मुख्य घटक mRNA तकनीक है। यह वही तकनीक है, जो COVID-19 वैक्सीन में इस्तेमाल हुई थी। लेकिन इस वैक्सीन की खास बात है कि इसे हर व्यक्ति के लिए अलग से तैयार किया जाएगा।

कैंसर वैक्सीन बनाना इतना मुश्किल क्यों है?

कैंसर वैक्सीन बनाना एक कठिन काम है। इसका कारण कैंसर की जटिलता और हमारी इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रिया है। आइए जानते हैं इसकी वजहें:

1. कैंसर सेल्स इम्यून सिस्टम को रोकती हैं।
कैंसर सेल्स खास मॉलिक्यूल्स बनाती हैं। ये मॉलिक्यूल्स इम्यून सेल्स, जैसे टी-सेल्स, को सक्रिय नहीं होने देते।
ये ट्यूमर के आस-पास एक सुरक्षात्मक ढांचा बना देते हैं। इससे इम्यून सेल्स ट्यूमर के अंदर नहीं पहुंच पातीं।
अगर वैक्सीन इम्यून सेल्स को सक्रिय करे भी, तो उन्हें ट्यूमर तक पहुंचने में मुश्किल होती है।

2. कैंसर सेल्स और सामान्य सेल्स में समानता
कैंसर की कोशिकाएं सामान्य कोशिकाओं से काफी मिलती-जुलती हैं।
इस वजह से, इम्यून सिस्टम के लिए यह पहचानना मुश्किल हो जाता है कि कौन सी कोशिका ठीक नहीं है।
कैंसर के खिलाफ वैक्सीन तभी काम कर पाएगी जब वह सही कोशिकाओं को सही तरीके से पहचान सके।

3. एंटीजन की समस्या
कभी-कभी, कैंसर के ट्यूमर पर जो एंटीजन होते हैं, वे सामान्य कोशिकाओं पर भी मिल जाते हैं।
अगर वैक्सीन इन एंटीजन पर हमला करती है, तो इम्यून सिस्टम सामान्य और असामान्य कोशिकाओं दोनों पर वार कर सकता है।
इससे ऑटोइम्यून रिएक्शन हो सकता है, जो शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है।

4. बड़े और जटिल ट्यूमर

जब कैंसर के ट्यूमर बहुत बड़े हो जाते हैं, तो इम्यून सिस्टम उन्हें खत्म नहीं कर पाता।
बड़े ट्यूमर के चारों ओर खून का बहाव कम होता है।
इससे इम्यून सेल्स और दवाएं वहां तक नहीं पहुँच पातीं।
इससे वैक्सीन की असरदारी कम हो जाती है।

5. कमजोर इम्यून सिस्टम

कई कैंसर मरीजों का इम्यून सिस्टम पहले से ही कमजोर होता है।
इसकी वजह से, वैक्सीन लगने के बाद भी, उनका इम्यून रिस्पॉन्स उतना असरदार नहीं होता।
यह खासकर बूढ़े लोगों और अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों के लिए बड़ी मुश्किल है।

 

 

क्या हैं संभावित समाधान?

वैज्ञानिक कैंसर वैक्सीन बनाने के लिए नये तरीकों पर काम कर रहे हैं।

1. mRNA वैक्सीन: ये वैक्सीन खास तौर पर ट्यूमर के एंटीजन को निशाना बनाती हैं।
2. इम्यून थैरेपी: इसका उद्देश्य कैंसर के आसपास के वातावरण को सुधारना है ताकि इम्यून सेल्स बेहतर तरीके से काम कर सकें।
3. कंबाइंड थैरेपी: ये वैक्सीन, कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी का एक साथ इस्तेमाल करती हैं।

 

रशिया की कैंसर वैक्सीन  मूल्य और उपलब्धता 

इस वैक्सीन की कीमत करीब 3 लाख रूबल है। यह रशिया सरकार के लिए बड़ा खर्च है। फिर भी, उन्होंने फैसला किया कि यह वैक्सीन देश में मुफ्त मिलेगी। भारत जैसे मित्र देशों में यह शायद सब्सिडी पर मिलेगी। सवाल यह है कि क्या यह वैक्सीन सिर्फ अमीरों के लिए होगी, या सबके लिए भी उपलब्ध होगी?

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रशिया की दीर्घकालिक रणनीति

रशिया का यह कदम केवल स्वास्थ्य सुधार तक नहीं है। देश की घटती जनसंख्या और कैंसर से भविष्य की पीढ़ियों को बचाने के लिए यह एक रणनीति है। साथ ही, यह रशिया की छवि को सुधारने और इसे एक नए, इनोवेटिव देश के रूप में दिखाने का भी एक तरीका है।

मानवता के लिए  नईउम्मीद ?

कैंसर हर साल लाखों लोगों की जिंदगी ले लेता है। रशिया की यह वैक्सीन मददगार हो सकती है। अगर यह कामयाब होती है, तो भारत और दूसरे देशों में भी लाखों जानें बचाई जा सकती हैं।  

भारत में अगले 5 साल में कैंसर के मरीजों की संख्या 12% बढ़ने का अंदाजा लगाया गया है। यह बात इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कही है। सबसे बड़ी चिंता यह है कि अब कई लोग कम उम्र में कैंसर का शिकार हो रहे हैं।

नेचर जर्नल में एक रिसर्च के मुताबिक, हमारी लाइफस्टाइल इस बढ़ती समस्या की एक बड़ी वजह है। ग्लोबल कैंसर ऑब्जरवेटरी के आंकड़ों से पता चला है कि 50 साल की उम्र से पहले ब्रेस्ट, प्रोस्टेट, और थायरॉइड कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। भारत में ब्रेस्ट, मुंह, गर्भाशय, और फेफड़ों के कैंसर के सबसे ज्यादा मामले देखे जा रहे हैं।

आगे क्या हो सकता है ?  

रशिया 2025 में इस वैक्सीन को लॉन्च करने की सोच रहा है। इसी साल राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत आएंगे। यह वैक्सीन उनकी यात्रा का एक खास हिस्सा हो सकती है। इससे दोनों देशों के रिश्ते और मजबूत हो सकते हैं।

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