“मध्य वर्ग की दिक्कतें”: टैक्स, महंगाई और 2025 का बजट
जैसे ही 1 फरवरी नजदीक आता है, भारत में बजट की घोषणा को लेकर सभी में excitement बढ़ जाती है। जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी, तो मध्यम वर्ग दोनों उम्मीद और चिंता के साथ उनकी ओर देखेगा।
उच्च कर, बदलते जीएसटी नियम, और बढ़ती महंगाई—इन सबने मध्यम वर्ग की परेशानियों को और बढ़ा दिया है। चलिए, इस ब्लॉग में हम चर्चा करते हैं कि मध्यम वर्ग किस तरह की समस्याओं का सामना कर रहा है, भारत की कर प्रणाली में क्या असमानताएं हैं, और बजट 2024 से हमें क्या उम्मीदें हो सकती हैं।
मध्यम वर्ग पर टैक्स का बोझ !
भारत का मध्यम वर्ग, जो देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, मुश्किल में है। जीएसटी के नए नियमों के चलते, अब पुरानी कारों, पॉपकॉर्न और नोटबुक जैसी चीजों पर भी टैक्स लग रहा है। ये जरूरी सामान हैं, जिन पर ज्यादा टैक्स नहीं होना चाहिए।
आयकर में असमानता
वित्त वर्ष 2024-25 में, मध्यम वर्ग ने लगभग ₹11,56,000 करोड़ का आयकर भरा। वहीं, कंपनियों ने ₹10,48,300 करोड़ दिया। भारत में सिर्फ 1.6% लोग आयकर देते हैं, यानी करीब 2.24 करोड़ लोग।
इसके मुकाबले, अमेरिका में लगभग 40% लोग आयकर भरते हैं। मध्यम वर्ग के लिए, ₹15 लाख की आय पर 30% की दर बहुत अधिक है, जो बाकी विकसित देशों की तुलना में ज्यादा बोझिल है।
कॉर्पोरेट कर में कटौती और स्थिर वेतन
2019 में, सरकार ने कंपनियों को सिंगापुर और दुबई जैसे देशों में जाने से रोकने के लिए कॉर्पोरेट टैक्स कम कर दिए। पर इसका खास फायदा मध्यम वर्ग को नहीं मिला।
2023 में, retail क्षेत्र में औसतन सिर्फ 3.7% वेतन वृद्धि हुई। औसत वेतन ₹18,600 था, जो बुनियादी जरूरतों के लिए भी सही नहीं है।
महंगाई भी बढ़ रही है। स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसी जरूरी चीजों की कीमतों में 10% तक की बढ़ोतरी हो रही है।
स्वास्थ्य और शिक्षा खर्च: मध्यम वर्ग की दुर्दशा
स्वास्थ्य और शिक्षा—ये मध्यम वर्ग की जिंदगी के दो बड़े हिस्से हैं—अब इतनी महंगी हो गई हैं कि आम लोगों के लिए मुश्किल हो रही हैं।
जब बात स्वास्थ्य सेवाओं की होती है, तो सरकारी अस्पतालों की गुणवत्ता गिर गई है। इस वजह से लोग अब निजी अस्पतालों में जाने लगे हैं।
शिक्षा की बात करें तो, स्कूलों और कोचिंग की फीस बढ़ गई है। अब अच्छी शिक्षा भी एक लग्जरी बन गई है।
सरकारी उपेक्षा और बुनियादी जरूरतें
मध्य वर्ग को सरकार से जो जरूरी सुविधाएं मिलनी चाहिए, वो अक्सर नहीं मिलतीं.
दिल्ली जैसे शहरों में हवा की गुणवत्ता काफी खराब है. एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 300 से ज्यादा होता है. इस वजह से सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है.
सरकारी अस्पताल, स्कूल और सड़कें भी अक्सर ठीक नहीं होते. ये सभी बुनियादी मानकों पर खरे नहीं उतरते.
बजट 2025 से उम्मीदें?
सरकार शायद आयकर कम कर सकती है। इससे लोग ज्यादा खर्च करेंगे और जीडीपी बढ़ेगा। लेकिन यह सिर्फ एक तात्कालिक उपाय है।
मूल बातें जो लंबे समय के लिए जरुरी हैं:
– स्थायी रोजगार बनाना
– MSMEs को मदद देना
– स्वास्थ्य और शिक्षा में महंगाई को काबू में करना
मध्यम वर्ग का संकट
मध्यम वर्ग न तो इतना धनी है कि उसे सरकार से दान मिले, और न ही इतना गरीब कि सरकारी मदद का हकदार हो।
अमीर लोग अपने पैसे विदेश में छुपाते हैं ताकि टैक्स ना चुकाना पड़े।
गरीब लोग सरकारी योजनाओं से मदद लेते हैं।
मध्यम वर्ग इन दोनों के बीच फंस गया है।
क्या किया जा सकता है?
कर सुधार पर ध्यान दें: कर प्रक्रिया को आसान और स्पष्ट बनाएं।
क्या किया जा सकता है?
स्वास्थ्य में निवेश: सरकारी अस्पतालों को अच्छा करें। निजी सेवाओं पर निर्भरता कम करें।
शिक्षा सब्सिडी: सभी को अच्छी शिक्षा मिल सके, यह सुनिश्चित करें।
रोजगार बढ़ाना: छोटे और मझोले उद्योगों को मदद करें। कौशल विकास के लिए कार्यक्रम चलाएं।
निष्कर्ष
बजट 2024 से मध्यम वर्ग को ज्यादा उम्मीदें हैं। सिर्फ अस्थायी राहत काम नहीं आएगी। स्थायी विकास, सही कर व्यवस्था, और जरूरी सेवाओं में निवेश ही एक बेहतर भविष्य बना सकते हैं।
सरकार को ये देखना होगा कि मध्यम वर्ग भी देश की तरक्की में शामिल हो। आखिर, एक मजबूत मध्यम वर्ग किसी भी देश की विकास की कहानी में बहुत महत्वपूर्ण है।