भारत-रूस व्यापार

भारत-रूस व्यापार संबंध: एक नया अध्याय शुरू

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भारत-रूस व्यापार संबंध: एक नया अध्याय शुरू

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दो साल पहले, जब हमारे विदेश मंत्री, डॉ. एस जयशंकर, रूस गए थे, तब उन्होंने एक सूची दी थी। इस सूची में उन्होंने कहा था कि रूस को ज्यादा भारतीय सामान आयात करना चाहिए। इससे भारतीय व्यापारियों को रूस के बाजार में बेहतर मौका मिलेगा।

लेकिन दिसंबर 2022 में, कुछ खास प्रगति नहीं हुई। रूस ने भारतीय माल के लिए अपना बाजार पूरी तरह से नहीं खोला।

हालांकि, अब हालात बदल रहे हैं। रूस ने खुद से उन चीजों की एक सूची साझा की है, जो वे भारत से आयात करना चाहते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, रूस अब भारत से कई सामान मंगाने में दिलचस्पी दिखा रहा है। इनमें मेडिकल और इंजीनियरिंग उपकरण भी शामिल हैं।

भारत-रूस व्यापार संबंध : रूस ने भारत से कई चीजें मांगी हैं।

आयात की मुख्य चीजें:
चिकित्सा उपकरण: अल्ट्रासाउंड स्कैनर, कैथेटर, थेरेपी उपकरण, कृत्रिम अंग, दांतों के फिटिंग और पशु चिकित्सा उपकरण।
अन्य उत्पाद: गन्ने से बने सामान, आभूषण (जैसे प्लैटिनम, सोना, चांदी), रबर के टायर और कई इंजीनियरिंग उपकरण।

भारत के लिए नए मौके:
निर्यात में बढ़ोतरी     : इससे भारतीय उत्पादकों को फायदा होगा।
निर्यात बाजार का विस्तार: अब भारत के निर्यात अमेरिका, चीन और मध्य पूर्व तक ही सीमित हैं। रूस में नई संभावनाएं मिलेंगी।
व्यापार घाटा कम करना : भारत और रूस के बीच $57 बिलियन का व्यापार घाटा है। ज्यादा निर्यात करके इसे घटाया जा सकता है।

भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने पहले ही रूस में संपर्क रखने वाले व्यवसायों को इस अवसर का लाभ उठाने और रूसी बाजार में आसानी से प्रवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया है।

भारत-रूस व्यापार की कहानी:

2023-24 में भारत और रूस का व्यापार बढ़कर $66 बिलियन हो गया है। ये पिछले पांच सालों में पांच गुना बढ़ा है। अब रूस भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साथी है। इसमें कच्चा तेल, कोकिंग कोल और उर्वरक सबसे ज्यादा आयात होते हैं। व्यापार में असंतुलन इसलिए है क्योंकि हम रूस से ज्यादा सामान मंगाते हैं।

इतिहास की बात करें तो भारत और रूस का रिश्ता काफी पुराना है। ये शीत युद्ध के समय में शुरू हुआ था जब रूस सोवियत संघ था। इस भागीदारी ने राजनीति और रक्षा के अलावा व्यापार में भी मजबूती पाई। 1991 में सोवियत संघ टूटने के बाद थोड़ी गिरावट आई, लेकिन फिर ऊर्जा, रक्षा और टेक्नोलॉजी में दोनों का साथ मजबूत हुआ।

हाल के वर्षों में, रूस भारत के लिए कच्चे तेल का एक महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता बन गया है, जो भारत की 35% से अधिक तेल आवश्यकताओं को पूरा करता है। यह रूसी तेल पर निर्भरता व्यापार घाटे में योगदान देती है लेकिन भारत के ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

भारत-रूस व्यापार रणनीतिक व्यापार गलियारे:

भारत और रूस अब कई नए व्यापार रास्तों से जुड़े हैं। ये रास्ते उनके व्यापार को बदल सकते हैं।

स्वेज नहर मार्ग: यह पुराना रास्ता दोनों देशों के बीच समुद्री व्यापार के लिए एक जरूरी लिंक है।

अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC): यह रास्ता भारत को ईरान के ज़रिए रूस से जोड़ता है। इससे माल भेजने में समय और खर्च दोनों कम होंगे। इससे व्यापार बढ़ने की आशा है।

चेन्नई-व्लादिवोस्तोक गलियारा: यह नया समुद्री रास्ता भारत के चेन्नई और रूस के व्लादिवोस्तोक के बीच है। हाल ही में इसे चालू किया गया। यह इंडो-पैसिफिक में व्यापार बढ़ाने के लिए एक अच्छा लिंक है।

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भारत और रूस के बीच संबंधों पर असर:

हाल की घटनाएं सिर्फ व्यापार से जुड़ी नहीं हैं। ये दोनों देशों के बीच एक गहरा समझौता दिखा रही हैं। जैसे-जैसे भारत और रूस एक जटिल दुनिया में अपने रिश्ते को बढ़ा रहे हैं, यह साझेदारी बेहद जरूरी हो गई है।

आर्थिक साझेदारी: बढ़ते व्यापार के चलते दोनों देशों के उद्योग को फायदा होगा। खासकर भारतीय कंपनियां, जैसे मेडिकल और इंजीनियरिंग के क्षेत्र, रूस में नए बाजारों का लाभ उठाएंगी।

भू-राजनीतिक असर: रूस के साथ मजबूत व्यापार करते हुए, भारत अपनी रणनीतिक आज़ादी बढ़ा सकता है। इससे वह पश्चिमी देशों और चीन के साथ अपने रिश्तों को बेहतर तरीके से संभाल सकेगा। रूस के लिए, भारत के साथ रिश्ते बढ़ाना पश्चिमी प्रतिबंधों का सामना करने में मदद करता है।

तकनीकी सहयोग: ये व्यापारिक रिश्ते तकनीकी सहयोग को भी बढ़ावा देंगे। इसमें फार्मास्यूटिकल्स, आईटी और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में साझेदारी के मौके शामिल हो सकते हैं।

भारत-रूस व्यापार चुनौतियाँ और मौके:

यहाँ कुछ बातें हैं। जहां संभावना है, वहीं कुछ चुनौतियाँ भी हैं।

पहली बात, नियमों की चुनौती है। अलग-अलग देशों के नियमों में फर्क होता है। इन्हें सही करके व्यापार करना जरूरी है।

फिर, बुनियादी ढांचे पर ध्यान देना होगा। खासकर नए व्यापार रास्तों पर। बेहतर बुनियादी ढांचा जरूरी है ताकि सामान सही समय पर पहुँच सके।

एक और बात, भाषा और संस्कृति। अगर भारतीय कंपनियाँ रूस में व्यापार करना चाहती हैं, तो उनसे जुड़ी सांस्कृतिक और भाषा की बाधाओं को समझना होगा।

लेकिन अच्छे मौके भी हैं! नए निर्यात से भारतीय उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। यह पारंपरिक बाजारों पर निर्भरता कम करेगा। रूस की ओर बढ़ने से भारत के लिए बाकी देशों के साथ व्यापार बढ़ाने का अच्छा तरीका बन सकता है।

निष्कर्ष:
यह विकास भारत और रूस के व्यापार में एक बड़ा कदम है। इससे भारतीय निर्यातकों और पूरी अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। जैसे-जैसे ये दोनों देशों के बीच साझेदारी मजबूत होगी, हम देखेंगे कि पश्चिमी देश इस पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं।

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