भारत-चीन सीमा विवाद: इतिहास और आज की स्तिथि
भारत और चीन के बीच सीमा का झगड़ा काफी पुराना है। यह सिर्फ एक भौगोलिक मुद्दा नहीं है। इसमें राजनीति और रणनीति भी शामिल हैं। हाल में, दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों की बैठकें फिर से शुरू हुई हैं। लेकिन इन बैठकों के बावजूद, तनाव और अविश्वास अभी भी हैं। चलो, इस मुद्दे के कुछ पहलुओं को समझते हैं।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि : भारत-चीन सीमा विवाद
पंच उंगलियों की नीति
माओ जेडोंग के समय में चीन ने पाम एंड फाइव फिंगर सिद्धांत पेश किया। इसके अनुसार, तिब्बत को हथेली के तौर पर देखा गया। जबकि नेपाल, सिक्किम, लद्दाख (अक्साई चिन), भूटान और अरुणाचल प्रदेश को पांच उंगलियाँ माना गया।
चीन का मानना था कि ये सभी इलाके उसके होने चाहिए।
तिब्बत: चीन ने तिब्बत पर पहले ही कब्जा कर लिया है।
अक्साई चिन: यह भारत और चीन के बीच सबसे बड़ा विवादित क्षेत्र है।
नेपाल और भूटान: चीन ने इन देशों के कुछ हिस्सों पर अपना दावा किया है।
अरुणाचल प्रदेश: चीन इसे साउथ तिब्बत कहता है और इस पर बार-बार नए दावे करता रहता है।
हालिया घटनाक्रम :स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव्स की बैठक
2005 के समझौते के तहत भारत और चीन के खास प्रतिनिधि बातचीत कर रहे थे। लेकिन गलवान घाटी की घटना और कोविड-19 की वजह से यह रुक गई। अब दोनों देश फिर से बात कर रहे हैं। चीन का नया प्लान: चीन ने छह बिंदुओं का एजेंडा रखा है। साथ ही, उसने अक्साई चिन में दो नई काउंटियों – हैरन और हे कांग – भी बना दी हैं। सैन्य निर्माण: चीन ने अक्साई चिन में नए सड़कें, पुल, और बंकर बना रहा है।
ब्रह्मपुत्र नदी का उपयोग
चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी पर एक बड़ा बांध बनाया है। यह सिर्फ बिजली बनाने के लिए नहीं है। इसका एक और मकसद है – नदी के पानी को नियंत्रित करना।
गर्मियों में वो पानी रोकते हैं, जिससे सूखी का सामना करना पड़ता है। मानसून में पानी छोड़ने पर बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।
**अंतरराष्ट्रीय नजरिया**
चीन की विस्तारवादी नीतियां सिर्फ भारत तक ही नहीं हैं।
**दक्षिण चीन सागर**: चीन ने छोटे द्वीपों और शॉल्स पर अपने सैन्य ठिकाने बनाए हैं।
**हांगकांग**: चीन ने वहां लोकतंत्र को दबाकर अपनी पकड़ मज़बूत कर ली है।
**ताइवान**: चीन ताइवान को अपनी भूमि का हिस्सा मानता है और वहां हमेशा सैन्य दबाव बनाता रहता है।
**भारत की चुनौतियां**
भारत को चीन की नीति और सैन्य रणनीति के खिलाफ सतर्क रहना होगा।
**सीमा विवाद**: बातचीत के बावजूद, चीन की आक्रामक नीतियां भारत के लिए एक चुनौती बनी हुई हैं।
**बुनियादी ढांचे का विकास**: भारत को अपनी सीमाओं पर बुनियादी ढांचे को मजबूत करना होगा, वरना चीन के मुकाबले वह पीछे रह जाएगा।
**राजनयिक कोशिशें**: भारत को अंतरराष्ट्रीय समर्थन पाने की जरूरत है।
निष्कर्ष
भारत-चीन सीमा विवाद केवल एक क्षेत्रीय समस्या नहीं है। यह एशिया की शांति और स्थिरता के लिए एक बड़ी चुनौती है। भारत को इस मुद्दे का सामना करने के लिए अपनी कूटनीतिक, सैन्य और आर्थिक ताकत को बढ़ाना होगा।
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