चीन और भूटान विवाद: भारत के लिए चिंता क्यों?
हाल के सालों में चीन ने भूटान के विवादित हिस्सों में 22 गांव बना लिए हैं। ये इलाके भारत के लिए बड़े मायने रखते हैं। खासकर सिलीगुड़ी कॉरिडोर, जो उत्तर-पूर्वी राज्यों को भारत से जोड़ता है।
चीन की चालें भारत और भूटान के लिए मुश्किलें पैदा कर रही हैं। 2017 में डोकलाम विवाद के बाद से हालत तनावपूर्ण हैं। यह जगह भारत, चीन, और भूटान का संगम है। चीन यहां अपना असर बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। अगर वो सफल हो गया, तो भारत का उत्तर-पूर्वी भाग बाकी भारत से कट सकता है।
चीन की 6 योजना:
- चरवाहों को भेजना: विवादित जगहों पर तिब्बती चरवाहों को बसाना।
- अस्थायी शेल्टर बनाना: छोटे ढांचे और बस्तियां तैयार करना।
- सैनिक तैनात करना: चरवाहों की सुरक्षा के लिए सेना भेजना।
- सैन्य चौकियां बनाना: स्थायी सैन्य ठिकानों की स्थापना करना।
- सड़कें बनाना: कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए सड़कें तैयार करना।
- स्थायी गांव बनाना: अंत में पूरे क्षेत्र पर नियंत्रण प्राप्त करना।
भूटान की स्थिति:
भूटान, भारत का पुराना दोस्त है। लेकिन चीन के प्रभाव और ऐतिहासिक लालच के कारण उसे नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। मार्च 2023 में, भूटान ने कहा कि वह चीन के साथ भूमि बदलने के बारे में सोच सकता है। इससे भारत को बड़ा झटका लग सकता है। भूटान ने पहले कहा था कि वह भारत की सहमति के बिना कोई भी समझौता नहीं करेगा।
भारत की प्रतिक्रिया:
भारत ने डोकलाम विवाद के बाद अपनी तैयारियां बढ़ा दी हैं। ये कुछ कदम हैं:
– सड़क और रेल नेटवर्क का विकास।
– सुरंगों और सैन्य ठिकानों का निर्माण।
– बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन (BRO) तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम कर रहा है।
मुख्य चिंता:
चीन ने 22 गांवों में 7000 से ज्यादा लोग बसाए हैं।
उसने भूटान के करीब 825 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया है।
सैटेलाइट की तस्वीरों से ये साफ है कि ये काम भारत के लिए खतरा बन सकते हैं।
निष्कर्ष:
भारत को सतर्क रहना जरूरी है। उसे भूटान के साथ अपने रिश्ते मजबूत करने की आवश्यकता है।
चीन की ताकत का सामना करने के लिए, भारत को अपनी कूटनीति और सैन्य तैयारी को भी मजबूत करना होगा।