New decision of Supreme Court on credit card

क्रेडिट कार्ड पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला:

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क्रेडिट कार्ड पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला: बैंक अपनी मर्जी से जुर्माना लगा सकते हैं।

New decision of Supreme Court on credit card

 

आजकल क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल बहुत बढ़ गया है। हर उम्र के लोग इन्हें अपने शॉपिंग से लेकर एअरपोर्ट लाउंज तक, हर जगह उपयोग कर रहे हैं। क्रेडिट कार्ड के कई फायदे हैं। लेकिन, अगर आप इन्हें सही तरीके से नहीं चलाते, तो बैंक आपसे भारी जुर्माना और ब्याज ले सकते हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर एक बड़ा फैसला सुनाया है। अब बैंक अपनी शर्तों पर जुर्माना लगा सकते हैं। चलिए, इस फैसले के बारे में और जानते हैं।

2008 का एनसीडीआरसी का फैसला

2008 में, नेशनल कंज़्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन (एनसीडीआरसी) ने कहा कि बैंक क्रेडिट कार्ड पर लेट पेमेंट के लिए ज्यादा से ज्यादा 30% ब्याज ले सकते हैं। यह फैसला उपभोक्ताओं को ज्यादा ब्याज और जुर्माने से बचाने के लिए था। एनसीडीआरसी को लगता था कि लोन पर ब्याज दरें 10-15% होती हैं, इसलिए क्रेडिट कार्ड पर 30% से ज्यादा लेना गलत है।

सुप्रीम कोर्ट का नया फैसला

16 साल बाद, सुप्रीम कोर्ट ने एनसीडीआरसी का फैसला बदल दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों का फैसला रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के दायरे में आता है। अब बैंक अपनी नीतियों के अनुसार क्रेडिट कार्ड पर जुर्माना और ब्याज दर तय कर सकते हैं।

बैंकों ने सुप्रीम कोर्ट में कुछ बातें कही हैं।

New decision of Supreme Court on credit card

पहला, उन्होंने कहा कि क्रेडिट कार्ड और लोन अलग हैं। क्रेडिट कार्ड पर ग्राहकों को 45 दिन तक बिना ब्याज का समय मिलता है।

दूसरा, जो लोग समय पर भुगतान नहीं करते, केवल उन्हीं पर जुर्माना लगता है।

तीसरा, बैंकों ने बताया कि क्रेडिट कार्ड से ग्राहकों को कई फायदे मिलते हैं। जैसे कैशबैक और एयरपोर्ट लाउंज की सुविधाएँ। जुर्माना वसूलना इसलिए जरूरी है ताकि ये सुविधाएँ दी जा सकें।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि:

– बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, 1949 के तहत बैंकों को स्वायत्तता है।
– ब्याज दर और जुर्माना तय करने की जिम्मेदारी आरबीआई के नियमों के अंतर्गत बैंकों पर है।
– एनसीडीआरसी को ऐसे मामलों में फैसला करने का अधिकार नहीं है।

उपभोक्ताओं पर असर

इस फैसले का उपभोक्ताओं पर कई तरीके से असर होगा:

– बढ़ा हुआ जुर्माना: अगर कोई उपभोक्ता समय पर भुगतान नहीं करता, तो बैंक अब 50% तक ब्याज लगा सकते हैं।
– बैंकों की लचीलापन: बैंकों को ग्राहकों के जोखिम और बाजार की स्थिति के हिसाब से ब्याज दर तय करने की आज़ादी होगी।
– बढ़ा हुआ राजस्व: इससे बैंकों के मुनाफे में बढ़ोतरी होगी।

अन्य देशों से तुलना करने पर, एनसीडीआरसी ने 2008 में कहा कि भारत में क्रेडिट कार्ड की ब्याज दरें ज्यादा हैं।

उदाहरण के लिए:
– ऑस्ट्रेलिया: 18-24%
– हांगकांग: 24-32%
– उभरते बाजार (फिलीपींस, इंडोनेशिया, मेक्सिको): 36%

हालांकि, अब भारत इन उभरते बाजारों के स्तर पर पहुंच गया है।

निष्कर्ष

यह नया फैसला बैंकों को ज्यादा आज़ादी देता है। लेकिन, उपभोक्ताओं को सजग रहना जरूरी है। अगर समय पर भुगतान नहीं किया, तो उन्हें बड़ा जुर्माना भुगतना पड़ सकता है। आरबीआई ने बैंकों से कहा है कि वे ज्यादा ब्याज दरें न रखें। लेकिन, फैसला अंत में बैंकों को ही करना है।

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